उपन्यास >> बीच की दीवार बीच की दीवारअमरकान्त
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बीच की दीवार...
Beech Ki Deewar - A Hindi book by - Amarkant
आजादी के बाद कथाकार के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित करने वाले लेखकों में अमरनाथ का नाम सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। अमरकान्त की शक्तिसम्पन्न कहानियाँ जहाँ भारतीय समाज की आशा-आकांक्षाओं को गहरी संवेदना से रूपायित करती हैं, वहीं सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बदलाव के उसके संकल्पों को भी अभिव्यक्त करती हैं। अमरकान्त की रचनाओं में छद्म आधुनिकता नहीं है और उनकी भाषा साफ-सुथरी तथा लेखन-शैली सर्वथा नयी और मौलिक है। उनकी कृतियाँ आज के जीवन की वास्तविकताओं को कई स्तर पर उद्घाटित करती हैं और जब वे व्यंग्य की धार देते हैं तो वे एक ओर मानव मन का आन्तरिक संस्कार करती हैं, वहीं दूसरी ओर आस्था, विश्वास व संघर्ष की प्रेरणा भी देती हैं।
कहानियों की तरह ही अमरकान्त के कई उपन्यास भी महत्त्वपूर्ण हैं, जिनमें ‘सूखा पत्ता’ हिन्दी साहित्य की स्थायी निधि है। प्रस्तुत उपन्यास ‘बीच की दीवार’ मध्यम वर्ग की बदलती हुई परिस्थितियों एवं मनःस्थितियों का विश्लेषण करने वाली एक विशेष कृति है। इसमें अमरकान्त ने आज के जीवन के अन्तर्द्वन्द्वों एवं अन्तर्विरोधों का प्रामाणिक तस्वीर प्रस्तुत की है। इस उपन्यास के केन्द्र में ऐसी नारी है, जो आज की अवसरवादी ज़िन्दगी से भँवर-जाल में फँसकर संघर्ष करती है, आगे बढ़ती है और विकास की वांछित मंजिल पाने में सफल होती है। पूरा उपन्यास, जहाँ हमें आनन्दित करता है, वहीं सामाजिक बदलाव के लिए आस्था व विश्वास भी प्रदान करता है।
कहानियों की तरह ही अमरकान्त के कई उपन्यास भी महत्त्वपूर्ण हैं, जिनमें ‘सूखा पत्ता’ हिन्दी साहित्य की स्थायी निधि है। प्रस्तुत उपन्यास ‘बीच की दीवार’ मध्यम वर्ग की बदलती हुई परिस्थितियों एवं मनःस्थितियों का विश्लेषण करने वाली एक विशेष कृति है। इसमें अमरकान्त ने आज के जीवन के अन्तर्द्वन्द्वों एवं अन्तर्विरोधों का प्रामाणिक तस्वीर प्रस्तुत की है। इस उपन्यास के केन्द्र में ऐसी नारी है, जो आज की अवसरवादी ज़िन्दगी से भँवर-जाल में फँसकर संघर्ष करती है, आगे बढ़ती है और विकास की वांछित मंजिल पाने में सफल होती है। पूरा उपन्यास, जहाँ हमें आनन्दित करता है, वहीं सामाजिक बदलाव के लिए आस्था व विश्वास भी प्रदान करता है।
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